इतिहास के पन्ने पलटाएँ तो भारत से जुड़े दो देश इन दिनों महंगाई और ऐसी ही बड़ी क़िल्लतों से जूझ रहे हैं। पहला ब्रिटेन जिसने हम पर ढाई सौ साल राज किया और दूसरा पाकिस्तान जो अंग्रेजों से आज़ादी मिलते ही हमसे अलग हो गया था।
पाकिस्तान की दिक़्क़त ये है कि वो भूखा सो लेगा लेकिन कट्टरवाद, आतंकवाद का साथ नहीं छोड़ेगा। दरअसल, वहाँ की जनता ऐसा नहीं चाहती, समय- समय पर सत्ता में आए हुक्मरान ने लोगों के बीच इस भाव को बढ़ावा दिया कि भारत उनका दुश्मन है, जबकि भारत ने न कभी ऐसा सोचा न इस दिशा में कभी कोई नकारात्मक प्रयास किए। भारत ने तो हमेशा पाकिस्तान के प्रति दया भाव ही रखे।
आज़ादी के बाद न चाहते हुए भी पाकिस्तान को रोकड़ बाक़ी के सौ करोड़ उस जमाने में दिए थे। लेकिन आज 76 साल बाद भी पाकिस्तान अपने यहाँ उत्पादन और माँग में सामंजस्य नहीं बैठा पाया। ज़्यादातर सामानों के लिए वह आज भी आयात पर ही निर्भर है। अब आयात में तो पैसा लगता है और उसके लिए क़र्ज़ भी लेना होता है।