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सेहतनामा- सेहत का राज छिपा है खाने की थाली में:आधी थाली में हों सब्जियां और फल, बाकी एक-एक चौथाई में प्रोटीन और कार्ब्स

इंसानों के खानपान का इतिहास काफी रोचक है। आदिमानव जानवरों का शिकार करके उन्हें कच्चा ही खा जाते थे। फिर सभ्यता परवान चढ़ी तो इसे पकाकर खाने की शुरुआत हुई। इसके बाद थाली में अनाज आए और सब्जियां भी। यह सब उस वक्त की जरूरत थी। लोग खेतों और जंगलों में दिनभर जी-तोड़ मेहनत करते और थाली भरकर रोटी, चावल खाते।

आधुनिक समय में हमारे खाने की थाली में तो ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन जीने का तरीका जरूर बदल गया है। अब हम ढेर सारा कार्ब खाने के बाद न लंबा पैदल चलते हैं, न खेतों में काम करते हैं। हम ऑफिस में कुर्सी पर बैठकर दिन भर कंप्यूटर में सिर गड़ाए रहते हैं।

आज खाने से पहले अपनी थाली को गौर से देखिए। अगर ऑफिस कैंटीन में बैठे हैं तो साथियों के टिफिन में भी झांक लीजिए। इसमें रोटी-चावल की मात्रा ज्यादा और सब्जी-सलाद की बहुत कम होगी। अधिकांश भारतीय परिवारों का भोजन ऐसा ही है, चार रोटी और थोड़ी सी सब्जी। अब ये खाना खाकर आप फिर कुर्सी में गड़ जाएंगे और घंटों एक ही जगह बैठकर काम करते रहेंगे।

विज्ञान की भाषा में इसे सिडेंटरी लाइफ स्टाइल कहते हैं यानी लंबे समय तक एक ही जगह बैठे रहना। जीवन में ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी का न होना।

तो क्या इस सिडेंटरी लाइफ स्टाइल के साथ आपकी मौजूदा खाने की थाली आपको बीमार कर सकती है?

आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि लाइफस्टाइल के हिसाब से हमारी खाने की थाली कैसी होनी चाहिए। साथ ही जानेंगे कि-

  • इसमें रोटी-चावल की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
  • इसमें सब्जी और दालों का क्या अनुपात होना चाहिए?
  • कितनी मात्रा में सलाद होना जरूरी है?

रोटियां और चावल मतलब मेहनत की थाली
भारत में हर घर, होटल, रेस्टोरेंट की थाली लगभग एक जैसी होती है। उसमें ढेर सारा कार्ब्स होता है, थोड़ा सा प्रोटीन और उससे भी कम फाइबर्स होते हैं।

इसका मतलब हुआ कि थाली का ज्यादातर हिस्सा रोटी और चावल से भरा होता है, जबकि सब्जी और दाल बहुत कम मात्रा में होते हैं। इन थालियों से सलाद और फल तो अक्सर गायब ही रहते हैं।

असल में हम थाली को जिस अनुपात में सजाकर खाए जा रहे हैं, वह तरीका बहुत पुराना हो चुका है। यह थाली तब लाभदायक थी, जब हमारे पूर्वज पूरे दिन खेतों में या जंगलों में मेहनत करते थे।

अब जबकि हम सिडेंटरी लाइफस्टाइल जी रहे हैं, जिसमें फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर है, लोग दिनभर एक ही कुर्सी पर बैठकर काम करते हैं, फिर कार या मेट्रो में बैठकर घर लौट जाते हैं, उनके लिए यह थाली नुकसानदायक है। यह धीरे-धीरे बीमार कर रही है।

 

इसलिए कम खाना होगा कार्ब्स
हमारा शरीर ऊर्जा के लिए खाने को अपने अनुरूप बदलकर इस्तेमाल करता है। ऐसे में उसे ऊर्जा का सबसे आसान सोर्स दिखता है कार्ब्स। अगर आप कार्ब्स खाते हैं तो शरीर इसे शुगर में बदलकर इसे सीधे इस्तेमाल कर सकता है।

अगर आप इसे खर्च नहीं कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि शरीर इसे स्टोर कर लेगा।

फरीदाबाद के मेट्रो हॉस्पिटल में डाइटीशियन डॉ. कौशिकी कहती हैं कि हम किसी चीज की मात्रा कम या ज्यादा कर सकते हैं, लेकिन शरीर को जरूरत तो सभी न्यूट्रिएंट्स की है।


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